Chapter Four - My First Experience
भाग चार - मेरा पहला पहला अनुभव दरवाजा बंद होने की आवाज़ सुनी और मेरी नींद खुल गई शायद सिरीश अपने काम पर निकल गया था. मैंने घडी देखी तो सुबह के ७.१५ हो चुके थे. अरे बाप रे मुझे लेट हो गया था. मैंने जल्दी जल्दी मुहं धोया, नहाया और तैयार हुआ. रूम से निकला तो ८ बजने को ५ मिनिट काम थे. और स्टेशन पहुँचते पहुँचते १५ मिनिट तो लगनेही वाले थे. वैसा ही हुआ. लेकिन जब स्टेशन पे पंहुचा तो टिकेट के लिए लोगो की भीड़ थी. और मुझे जल्दी पहुंचना था. मरता क्या न करता. लाइन में लग गया. और जब टिकट मिली तो करीब ८.४० हो गए थे. और अभी मुझे दौड़ना था क्यों की लोकल ८.४० की थी. मैं प्लेटफोर्म की तरफ दौड़ा लेकिन कमबख्त लोकल ने हमें दगा दे दिया. अभी ८.५५ की लोकल थी. मतलब कमसे काम १ घंटा देरी से पहुचुंगा मैं मेरे साक्षात्कार के लिए. अभी समझ में आया था के मुंबई के लोकल को वहां के लोग मुंबई की धड़कन क्यों मानते है. हुशश! मैं हताश होके बैठ गया और दूसरी लोकल आने का इंतज़ार करने लगा. तब तक एक बार मैंने किताब पे नजर डालनी ठीक समझा. तो बैग से किताब निकली और एक बार पढ़ लिया. उद्घोषक ने लोकल आने की उद्घोषणा की. हम भी किताब...