Chapter One - A Ray of Hope!

भाग एक - नया सफ़र


"गे क्या करना है?" चाय की चुस्की लिए मै यही सोच रहा था. मुझे पता था मै यहाँ पर अपना समय और ज्ञान सब कुछ बर्बाद कर रहा हूँ. पता नहीं क्यू लेकिन मुझे लग रहा था की मुझे बस यहाँ से अभी निकलना चाहिए. इसलिए मैं उसकी तय्यारी में था. कुछ ही दिनों में मैं इसके बारे में मेरे मेनेजर से बात करने वाला था और मुझे पक्का यकींन था के वे मुझे समझेंगे. और मुझे यहाँ से जाने की इजाजत देंगे. मुझे समझ में नहीं आ रहा था के मैं क्या करू? मेरे लिए इस समय वर्त्तमान काम छोड़ना बहोत मुश्किल जा रहा था. मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था. क्यों की मेरा भविष्य मेरे इस एक निर्णय पे टिका था. मुझे पता था के अभी मुझे बहोत कुछ सीखना है, बहोत कुछ पाना हैं और वो भी बहोत थोड़े दिनों में. मेरे सुनहरे भविष्य के लिए अभी मुझे किसी भी तरह का कोई खतरा नहीं उठाना था. चाहे वो मेरे तन का हो या मन का. सो मैं इसी के लिए प्रयत्न कर रहा था. बस एक बार मुझे यहाँ से जाने की इजाजत मिले? यही मेरा भविष्य बनाएगा.


आज मैं दंग रहा गया जब मुझे ये पता चला के नयी आयी लड़की को मेरा मजाकिया अंदाज़ पसंद नहीं है. मुझे किसी से कोई गिला शिकवा नहीं था. इसलिए मैंने उससे माफ़ी माफ़ी मांगी. मुझे किसीसे इत्तफाक नहीं था लेकिन अगर मेरे बर्ताव से कोई नाराज़ होता है तो मुझे अच्छा नहीं लगता था. बाकि किसी को मेरे बर्ताव से कोई शिकायत नहीं थी. वैसे भी जिंदगी भर थोड़ी न मैंने इस कंपनी में बिताना था!


अभी मैं नए सफ़र के लिए निकल  पड़ा था. मंजिल जो मुझसे कोसो दुरे थी.

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